गीता का उपदेश (Geeta ka Updesh) महाभारत के युद्ध मेंअपने शिष्य अर्जुन को भगवान् श्रीकृष्ण ने दिए थेजिसे हम गीता सार (Geeta Sar Hindi) यागीता उपदेश (Geeta Updesh) भी कहते हैं।श्रीमद्भगवद्गीता (Bhagavad Gita) हिन्दुओंके पवित्रतम ग्रन्थों में से एक है।महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्रयुद्ध में श्रीकृष्ण ने गीता कासन्देश (Geeta Saar) अर्जुन को सुनाया था।यह महाभारत के भीष्मपर्व केअन्तर्गतदिया गया एक उपनिषद् है।भगवतगीता में एकेश्वरवाद, कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्ति योग की बहुत सुन्दरढंग से चर्चा हुईहै।
श्रीमद्भगवद्गीता की पृष्ठभूमि महाभारतका युद्ध है। जिस प्रकार एक सामान्य मनुष्यअपने जीवन की समस्याओं मेंउलझकर किं कर्तव्यविमूढ़ हो जाता हैऔर जीवन की समस्यायों सेलड़ने की बजाय उससे भागने का मन बनालेता है उसी प्रकारअर्जुन जो महाभारत केमहानायक थे, अपने सामने आने वाली समस्याओं से भयभीत होकरजीवन और क्षत्रिय धर्मसे निराश हो गए थे, अर्जुन की तरह हीहम सभी कभी-कभी अनिश्चय की स्थिति मेंया तो हताश होजाते हैं। और या फिरअपनी समस्याओं से विचलित होकरभाग खड़े होते हैं। आज 5 हजार साल से भी ज्यादावक्त बित गया हैं लेकिन गीता के उपदेश आजभी हमारे जीवन में उतने ही प्रासंगिक हैं।आइयेपढ़ते है
संदेह की आदत इंसान के दुख का कारण बनती है।