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  • Jul,01,2022

भगवद गीता का सार | Geeta Sar in Hindi

गीता का उपदेश (Geeta ka Updesh) महाभारत के युद्ध मेंअपने शिष्य अर्जुन को भगवान् श्रीकृष्ण ने दिए थेजिसे हम गीता सार (Geeta Sar Hindi) यागीता उपदेश (Geeta Updesh) भी कहते हैं।श्रीमद्भगवद्गीता (Bhagavad Gita) हिन्दुओंके पवित्रतम ग्रन्थों में से एक है।महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्रयुद्ध में श्रीकृष्ण ने गीता कासन्देश (Geeta Saar) अर्जुन को सुनाया था।यह महाभारत के भीष्मपर्व केअन्तर्गतदिया गया एक उपनिषद् है।भगवतगीता में एकेश्वरवाद, कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्ति योग की बहुत सुन्दरढंग से चर्चा हुईहै।

श्रीमद्भगवद्गीता की पृष्ठभूमि महाभारतका युद्ध है। जिस प्रकार एक सामान्य मनुष्यअपने जीवन की समस्याओं मेंउलझकर किं कर्तव्यविमूढ़ हो जाता हैऔर जीवन की समस्यायों सेलड़ने की बजाय उससे भागने का मन बनालेता है उसी प्रकारअर्जुन जो महाभारत केमहानायक थे, अपने सामने आने वाली समस्याओं से भयभीत होकरजीवन और क्षत्रिय धर्मसे निराश हो गए थे, अर्जुन की तरह हीहम सभी कभी-कभी अनिश्चय की स्थिति मेंया तो हताश होजाते हैं। और या फिरअपनी समस्याओं से विचलित होकरभाग खड़े होते हैं। आज 5 हजार साल से भी ज्यादावक्त बित गया हैं लेकिन गीता के उपदेश आजभी हमारे जीवन में उतने ही प्रासंगिक हैं।आइयेपढ़ते है

गीतासार - Geeta Sar in Hindi

  • व्यर्थ की चिंता करते हो? किस से व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती है।
  • जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप करो।भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।
  • तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुम ने खोदिया, तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आए जो लिया यहीं से लिया जो दिया, यहीं पर दिया। जो लिया, इसी (भगवान) से लिया। जो दिया, इसी को दिया।
  • खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है. कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दुःखों का कारण है।
  • परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वहीं तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के खामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना पराया मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है. तुम सबके हो।
  • न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जायेगा। परन्तु आत्मा स्थिर है फिर तुम क्या हो?
  • तुम अपने आपको भगवान को अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त है।
  • जो कुछ भी तू करता है. उसे भगवान को अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवन मुक्त का आनंन्द अनुभव करेगा।

Geeta Updesh in Mahabharat

  • मानव शरीर अस्थायी और आत्मा स्थायी है।
  • जीवन का एक मात्र सत्य है वो है मृत्यु।
  • गुस्से पर काबू करना चाहिए क्योंकि क्रोध से व्यक्ति का नाश हो जाता है।
  • व्यक्ति अपने कर्मों को नहीं छोड़ सकता है।
  • जो ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, उसी का नजरिया सही है।
  • इंसान को अपने मन को काबू में रखना चाहिए।
  • मनुष्य को पहले खुद का आकलन करना चाहिए और खुद की क्षमता को जानना चाहिए।
  • खुद पर पूरा भरोसा रखे और अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातर प्रयास करें।
  • अच्छे कर्म करें और फल की इच्छा ना करें।
  • मनुष्य की इंद्रियों का संयम ही कर्म और ज्ञान का निचोड़ है।
  • तनाव से दूर रहना चाहिए क्योंकि तनाव इंसान को सफल होने से रोकता है।
  • अपने काम को प्राथमिकता दें और इसे पहले करें।
  • लोक में जितने देवता हैं, सब एक ही भगवान की विभूतियां हैं जो लोग भगवान का सच्चे मन से ध्यान लगाते हैं वह पूर्ण सिद्धयोगी माने जाते हैं।
  • अपने काम को मन लगाकर करें और अपने काम में खुशी खोजें।
  • किसी भी तरह की अधिकता इंसान के लिए बन सकती है बड़ा खतरा।
  • दूसरों की भलाई पर ध्यान दें, सिर्फ अपना मतलब नहीं साधे।
  • ईश्वर हमेशा मनुष्य का साथ देता है।

संदेह की आदत इंसान के दुख का कारण बनती है।