इस दुनिया में 90% लोग अपने साथ धोखा कर रहे है, जानना चाहोगे कैसे? क्योंकि ये वो लोग है जो सिर्फ जीने के लिए जी रहे है, ये भूल चुके है की इनके सपने क्या है, इनके जीवन में सिर्फ जरूरते है, शिकायतें है और अपने आप के लिए झूठी तसल्ली है, इन्होंने समझौता कर लिया है |
ये सब डर की वजह से बिना कोशिश किये ही हार मान बैठे है, ये लोग आराम से अपनी जिंदगी जी रहे है लेकिन इसके बावजूद भी ये अपने जीवन से संतुष्ट नहीं है क्योंकि ये सब के सब वो नहीं कर रहे है जो करने की क्षमता इन में है, और जब हम हालातों से समझौता कर लेते है तो जिंदगी बड़ी नीरस हो जाती है |
पिछले दिनों मैं रवि नाम के एक युवक से मिला था और थोड़ी ही देर में मेरी अच्छी जान पहचान हो गयी, उसने बताया वह मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है जयपुर में और यह पूरा होते ही कोई जॉब ज्वाइन कर लेगा | जब मैंने उससे पूछा की आप का सबसे बड़ा ड्रीम क्या है ? तो काफी देर सोचने के बाद बोला मैं पायलट बनना चाहता हूँ लेकिन ? लेकिन क्या मैंने पूछा तो उसने कहा की घरवाले इसकी अनुमति नहीं दे रहे है वो चाहते है की मैं कोई अच्छा सा जॉब करूँ और इतना कह कर वो चुप हो गया लेकिन जो चमक उसके चेहरे पर पायलट बननेवाले सपने को बताते वक्त थी वो अब ग़ायब हो चुकी थी | और लगभग तीन घंटे की बातचीत से मेरा ध्यान उन मुद्दों पर गया जिनकी वजह से हम अपने सपनों को जीना छोड़ देते है वे है :
1. खुदपर विश्वास न होना ( Lack Of Self Confidence )
यह एक ऐसी वजह है जिसकी वजह से ज्यादातर लोग अपने सपने को सिर्फ सपना समझ हमेशा के लिए भूल जाते है | हम सपने तो बड़े बड़े देखते है लेकिन अंदर से हम बहुत डरे हुए है और उस सपने को लेकर खुद को ही नहीं समझा पाते है की यह मैं कर सकता हूँ , और जब हम स्वंय ही पूरी तरह से निश्चिंत नहीं है तो दूसरों को क्या बताएँगे ? नतीजा बिना खुद पर विश्वास के जब हम दूसरों कोअपने सपने बताते है तो वो आसानी से हमें डरा देते है और हम उसी 90% वाली श्रेणी में रह जाते है |
2. लोग क्या कहेंगे ( What will People Say )
सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग, यह हमारा बहुत बड़ा डर है और इस वजह से हम अपने सपनों की दिशा में कदम उठाने से पहले हार मान लेते है, हम सोचते है क्या होगा जब वह मुझे यह करते हुए देखेंगा, क्या जवाब दूँगा, रिश्तेदार क्या सोचेंगे, परिवार वाले क्या कहेंगे, दोस्त क्या कहेंगे ? आप जिन लोगों के बारे में सोच रहे हो वो यदि आप पर हसतें है आप को रोकते है, टोकते है तो यकीन कीजियेगा ये सब भी उस 90% श्रेणी में है जो एक तय दायरे में ही सोच पाते है, पर तुम्हारी पहचान उनकी सोच से नहीं तुम्हारी सोच से बनेगी |
3. असफलता का डर (Fear Of Failure)
क्या होगा यदि मैं इस काम में सफल नहीं हो पाया तो ? क्या होगा यदि मेरा बिज़नेस नहीं चल पाया तो ? क्या होगा यदि उसने मेरा प्रस्ताव नहीं माना तो, क्या …क्या …क्या इतने सारे सवाल और इनकी वजह असफल होने का डर | ये सारे डर जो की काल्पनिक है लेकिन हम इन पर इतना ध्यान देते है की ये हकीकत में बदलने लगते है, हम में से ज्यादातर लोग तो वो काम शुरू ही नहीं कर पाते है वजह हमारा ये डर की कहीं असफल न हो जाये, आप अभी कोन से सफल हो जो असफल हो जाओगे या यदि सफल हो भी तो इतिहास उठाकर देख लो की क्या सफलता स्थाई है ? और इतना ही नहीं अपने इस डर की वजह से हम दोष देते है हालातों को, ज़माने को और कहते है यदि ऐसा नहीं होता तो हम येकर लेते वो कर लेते, ध्यान रहे हम यदि वह चुनते है जो आसान है तो जिंदगी मुश्किल होगी, और यदि वो चुनते है जो मुश्किल है तो जिंदगी आसान होगी |
सपने हमारे भी सच हो सकते है यदि इन पांच छोटी छोटी बातों का ध्यान यदि हम रखे तो |
90% लोगों की तरह सोचना बंद करो, बड़ा सोचों कुछ ऐसा जो तुम्हे पसंद हो, कुछ ऐसा जिसे दूसरों को बताते वक्त तुममे जोश आ जाये, तुम्हारे रोंगटे खड़े हो जाये, कुछ ऐसा जिसके बारे में तुम बहुत Passionate हो, और उसको अपनी व्यक्तिगत डायरी में लिख डालो, एक चार्ट पेपर पर लिखकर अपने कमरे में चिपका दो ( और ख़बरदार जो यह सोचा की किसी ने देख लिया तो ) यह तुम्हें रोज़ दिखाई देना चाहिए ताकि एहसास दिलाता रहे की यह तुम्हारा सपना है |
अपने सपने और जीवन की ज़िम्मेदारी स्वंय लो और खुद से वादा करो की मैं इसे पूरा करूँगा /करुँगी, रोज़ दस मिनट अपने सपने को याद करने और खुद से बात करने का वक्त निकालो और अपना आकलन करते रहो, ध्यान रहे लोगों की नजर में तुम क्या हो इससे खास फर्क नहीं पड़ता लेकिन अपनी नजर में तुम क्या हो इस पर तुम्हारी पूरी जिंदगी टिकी हुई है |
आपका सपना जिस भी क्षेत्र से सम्बन्धित है उससे जुड़े हुए सफल लोगों को खोजों, किताबें पढ़ो, इन्टरनेट पर सर्च करो, और यदि संभव हो तो उनसे मिलो, अच्छे सेमिनार में जाओ, ये वो लोग है जो आपको राह दिखायेंगे, हम क्या है इसमें हमारी संगती की बड़ी भूमिका होती है और हम क्या बनेंगे यह भी हमारी संगती ही तय करती है, इसलिए हमारी संगती हमारे सपने के अनुसार ही होनी चाहिए |
सपना बड़ा ज़रुर देखे लेकिन उस तक पहुँचने के लिए छोटे छोटे कदम तय करे अपने सपने को टुकडों में बाँट ले और तय करे की अपनी मंज़िल तक पहुँचने से पहले वो कोन से छोटे लक्ष्य होंगे जिन को मुझे पाना है और उन छोटे लक्ष्यों को समय सीमा दे , ताकि आप आकलन कर पाए की कहाँ सुधारकी जरूरत है, और जब भी इन छोटे लक्ष्यों को पूरा करे अपने आप को शाबाशी देना न भूले, ये आपको उत्साहित बनाये रखेंगे |
हमारी जिंदगी अपने आप में एक पाठशाला है जहाँ हम हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहते है, अपने सपने को हक़ीकत में बदलने के दौरान बहुत बार ऐसा होगा की हम गिरेंगे, विफल होंगे, लेकिन प्रत्येक अवसर हमें कुछ न कुछ सिखाएगा अंत: ऐसी परिस्थिति में दो सवाल अपने आप से पूछना – मैंने इस से क्या सीखा ? और इस सीख को आने वाली जिंदगी में कैसे उपयोग करूँगा |
अपने सपने को पूरा करने में दर्द तो बहुत होगा, मुश्किलें आएँगी लेकिन याद रखना वो ही लोग टॉप 10% में पहुँच पाते है जो लगातार अपने सपने को पूरा करने में लगे रहते है अंत: जिंदगी में खास परिणाम पाने के लिए काम भी खास ही करने होंगे और जब काम खास हो तो उनके तरीके भी खास ही होंगे |