बचपन से हमें यही सिखाया जाता है कि “Time is Money” शायद टीचर के डर से इसे रट भी लिया था लेकिन इसे ज़िन्दगी में अपनाया कितने लोगों ने?
समय एक ऐसी चीज़ है जिस की व्याख्या शायद कोई न दे सकें, लेकिन हाँ अगर आपके पास समय है तो आपके पास सब कुछ है ।
कभी किसी रिश्ते को समय देकर देखिये वो रिश्ता संभलेगा भी और सुधरेगा भी। कभी किसी प्रोजेक्ट पर थोड़ा और समय दीजियेगा, प्रोजेक्ट ‘More than average’ यानी बाकियों से अच्छा होगा। और रही बात पैसों की तो, दुनिया में वही अमीर हुआ है, जिसने समय के मोल को सही वक़्त पर पहचान लिया।
आज का ये लेख, आपको शायद समय को, एक अलग नज़रिए से देखने में मदद करेगा और साथ ही साथ आपको Time Management सिखायेगा।
श्री अर्नाल्ड बेन्नेट जी कहते है की जब भी आप सुबह उठते है तो आपके पर्स में बिना कुछ किये 24 घंटे यूँ ही पड़े मिलते है । ये वो 24 घंटे है जो न कोई आपसे चुरा सकता है, न कोई छीन सकता है और नाही इसे बढ़ा सकता है ।
ये आपके है, अब आप इसे इस्तेमाल करें या न करें, आपको सजा देने वाला कोई नहीं है । आपसे कोई नहीं पूछेगा की आपने 24 घंटों का क्या किया । ये आपकी ज़िन्दगी है, आपके 24 घंटे… या तो जी लें या इन 24 घंटों को निचोड़ लें ।
समयसारणी (Time-table), अनुसूची (Schedule) सब बनाते हैं, पर उसे मानता कौन हैं? चलो दो चार दिन मान भी लिया, पर दो दिन बाद सब वहीं का वहीं । ऐसा दो कारणों से होता है, एक- आलस (Laziness), दूसरा- समय की पाबंदी । इसे मिटाने के लिया, आपको ‘अपना’ टाइम टेबल बनाना होगा और अपना मतलब अपना ।
सुबह 6 बजे सब उठते हैं, रात 9 बजे सब सोते हैं, तो वो आपका अपना टाइम टेबल कैसे हुआ? कहने का मतलब ये नहीं की सुबह जल्दी न उठें या रात को जल्दी न सोयें, ये दोनों कार्य आपके मस्तिष्क और शरीर के लिए बहुत अच्छे हैं लेकिन जो घर बैठे काम करता है और रात 2 बजे दिमाग में सबसे अच्छे विचार (ideas) आते हैं वो सुबह जल्दी उठकर क्या करेगा?
मेरे ख्याल से उसे रातभर काम करना चाहिए और सुबह सोना चाहिए । हम सबके काम अलग होते हैं, तो हमारा टाइमटेबल भी अलग-अलग होना चाहिए ।
अपने शरीर की ज़रूरतों को जैसे 6-8 घंटे सोना आदि को अपने टाइमटेबल में ज़रूर शामिल करें ।
विश्राम(Rest) के समय को काटकर कोई भी ध्यान भंग करने वाला काम न करें क्योंकि विश्राम शरीर के लिए बहुत ज़रूरी है ।
आलसी न बने । Time Table को फॉलो करें।
तो Time Management की पहली Tips यही होगी की “अपना अलग टाइम टेबल बनाये, जो आपके शरीर और काम पर समान ध्यान देगा और उसे फॉलो करें।”
टाइम-टेबल एक सामान्य रोजमर्रा चीज़ है । लेकिन हर दिन का एक अलग लिस्ट होता है । जो काम उसी दिन निपटाने होते हैं, उसका लिस्ट । To- Do list यानी कार्य सूची, जिसमें लिखा होगा, आपको दिन भर क्या करना है । लेकिन इसके साथ प्राथमिकता (Prioritization) का क्या संबंध है?
संबंध ये है कि कार्यसूची को ज़रूर फॉलो करें लेकिन कार्यों को ज़रुरत के हिसाब से क्रमांकित करेंया यूँ कहें, तात्कालिकता (Urgency) के हिसाब से प्राथमिक बनाये ।
आपको यह समझना होगा कि हर काम का एक समय होता है और हर एक काम उस एक पल में आवश्यक नहीं होता है । अगर आप इस तरीके कोअपनाते हैं और अपने काम को ज़रूरत के हिसाब से बाँट लेते हैं तो आपके काम बड़े ही आसानी से होंगे और आपको भविष्य के कार्यों की फ़िक्र भी नहीं करनी होगी क्योंकि एक बार अगरआप किसी चीज़ को कागज़ के टुकड़े पर लिखते हैं, तो वह सिर्फ़ कागज़ पर नहीं बल्कि आपके दिमाग में भी बैठ जाता है । ये कोई बेतुकीबात नहीं है ।
जब भी आप किसी चीज़ को अपनी आँखों से देखते हैं तो ज़्यादा देर तक दिमाग में रहता है जबकि आपकी कल्पना की हुई कार्यों को, जिन्हें आपको पूरा करना है, आपका दिमाग उसे जल्द-ही भूल जाता है । यह तरीका उन लोगों के लिए और भी लाभदायक है, जिन्हें चीजें भूलने की आदत है ।
अपने पास एक डायरी-प्लानर रखें या अपने स्मार्टफ़ोन का लाभ उठाए और उसमें अपनी To-Do List बनाए ।
तो Time Management की दूसरी Tips होगी, “कार्य सूची बनाए और उसे ज़रुरत के हिसाब से क्रमांकित करें।”
अब जब आपका टाइम-टेबल भी तैयार है और To-do लिस्ट भी तो उन सारी चीज़ों को अपनी ज़िन्दगी से हटा दें जो आपका कीमती समय बर्बाद कर रहें हैं।
जैसे- आपका टेबल, हो सकता हैआपका टेबल किताबों (Books) और फाइलों से भरा पड़ा है, या आपको सुबह अलमारी में कपड़े मिलने के बजाय ढूंढने पड़ते है । जाने अनजाने में ये आपका कीमती वक़्त जाया कर रहें हैं। अगर आपका रोज़ 5 मिनट बर्बाद होता है, तो इसका मतलब है हफ्ते में 35 मिनट और महीने में 2 घंटे 34 मिनट ।
इन छोटी-छोटी चीज़ों को हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जो शायद बाद में चुभतीं हैं । तो इन छोटी-छोटी चीज़ों को ध्यान में लिए आपको प्लान करना होगा ।
कौनसी चीज़ कहाँ रहेगी?
किस चीज़ को कितने दिन बाद बदलना होगा?
इन सबके लिए अलग समय बनाये ताकि हर रोज़ इनके पीछे 5-5 मिनट न गंवाना पड़े। तो Time Management की तीसरी Tips होगी “छोटी-छोटी चीज़ों को नज़रअंदाज़ न करें क्योंकि एक चिंगारी काफ़ी होती है, आग लगाने के लिए ।”
अब बात करते हैं काम करने के तरीके की। आज सब Multitasking पर यकीन करते हैं । एक समय पर एक से ज्यादा करने को Time Management कहते हैं । पर क्या सच में ऐसा है? Multitasking कुछ हद तक अच्छा है जैसे- गणित करते हुए गाना सुनना अच्छा है जब बात कुछ बड़ा करने का हो, तो Multitasking हानिकारक साबित हो सकता है।
कहते है, Multitasking से आपका ध्यान दो या तीन हिस्सों में बट जाता है जिससे आपकी कुशलता भी बट जातीं हैं और जो काम 1 घंटे में होना चाहिए उसे घंटों लग जाते हैं। विशेष रूप से बात करेंतो किसी भी काम को करते वक़्त चाहे पढ़ाई हो या ऑफिस का काम अपने Social medias से दूर रहें क्योंकि इससे समय का पता ही नहीं चलता की कब बीत गया ।
तो Time Management की चौथी Tips यही होगी की, “समय और कार्य देखकर Multitasking करें क्योंकि उसके लाभ से ज़्यादा नुक्सानहै और Social Medias से बच के रहें।”
काम चाहे कोई भी हो, निपुण (Efficient) होना चाहिए । क्योंकि हर कोई काम का अंतिम रूप देखता है, उसके पीछे की मेहनत (Hard work) शायद ही कोई देखताहै । आपकी ज़िम्मेदारी काम को अच्छे ढंग से पूरा करना है पर काम आप ही के द्वारा होना चाहिए ऐसा ज़रूरी नहीं है । ये उपाय अवश्य छात्रों के लिए नहीं है ।
ऐसा कई बार होता है की जल्द-बाज़ी में आप काम को निपुण बनाना ही भूल जाते हैं, और काम को जैसे-तैसे ख़त्म करने की कोशिश करतेहैं, ऐसे परिस्थितियों से बचने केलिए आपको करना होगा:
लोगों से अच्छा रिश्ता रखना होगा ताकि समय-असमय पर वे आपकी मदद करें । इसके लिए अपनी Communication skills को बढ़ाएं और दोस्तों से, सहयोगियों (Colleagues) से अच्छे संबंध बनाए ।
आजकल Outsourcing एक बहुत बड़ा विकल्प बन चुका है।उसकी सहायता लें । ये आपके समय को काफ़ी हद तक बचाएगा ।
तो Time Management की पांचवी Tips ये होगी की “काम करने पर नहीं, काम की उत्तमता (Quality) को देखिये ।ख़ुद निर्णय लें की कौनसा काम आप ही को करना होगा और कौनसा किसी और के करने से या यूँ कह लें किसी पेशेवर (Professional) के करने से, ज़्यादा अच्छा होगा ।”
Step out of your comfort zone.
“अभीबहुत समय है” कहकर हम बहुत-सी चीज़ें टाल देते हैं । ख़ुद को एक दायरे में रखना जो एक सुखद दायरा है, आपके और आपकी कीमती समय के लिए नुकसानदेह है । अपने दायरे से बाहर निकलिये, अपने अंदर एक जोश लाए। आपका समय यूँ ही नहीं निकल जाया करेगा ।
“Step out of your comfort zone and your comfort zone expands.’’
एक बार बाहर निकल कर देखिये अपने दायरे से, आपका सुखद दायरा बढ़ जाएगा ।पर हाँ कुछ वक़्त ज़रूर लगेगा । तो Time Management की छठी Tips ये होगी की “आप कम्फर्ट के पीछे न भागे, कभी कभी कुछ चुनौतियाँ आपको बदल सकती है ।”
अब Time Management की आखिरी Tips की बात करते है । कई बार ऐसा होता है की हम अपनी ज़िन्दगी से, अपने काम से तंग आकर “मूड ख़राब है” कह कर काम करना और समय का सही इस्तेमाल करना भूल जाते हैं । यह स्वाभाविक है क्योंकि हम इंसान हैं परन्तु क्या आप जानते हैं कि हम अपने मस्तिष्क को चकमा दे सकते हैं?
ये बड़ा ही आसान है, बस अपने मन को समझाएं कि आप खुश (Happy) है और अभी काम करना बहुत ज़रूरी है। ख़ुद ही ख़ुद को प्रेरणा (Inspiration) देंऔर ख़ुद ही ख़ुद के तनाव (Stress) मिटायें ।
अपने आसपास ऐसा माहौल बनाएं जैसे हर एक चीजआपको प्रेरणा दे रही हो। कुछ प्रेरणा (Inspiration) देने वाले Quotes को अपने आसपास रखे, अपनी मंजिल की तस्वीर येएक काल्पनिक छवि को अपने माहौलमें शामिल करें ।
आपको बड़े अच्छे से पता है की आपके मन को क्या चाहिए, तो अपने मन को उस चीज का दिलासा दीजिये ।
ज़रूरत पड़े तो ख़ुद को थोड़ा डरायें, ‘अगर इस समय तक यह काम पूरा न हुआ तो क्या होगा?’ परन्तु साथ ही साथ तनाव को अपने से दूर रखें। तनाव एक ऐसी चीज है जो भले मानुष को भी क्रोधी बना देती है ।
तो यह थी 7 Time Management Tips in Hindi उम्मीद है आपको पसंद आई और आपको इससे मदद मिले यही कामना करते हैं ।